Poisonous Snake: इस जगह दूल्हे की दहेज़ में दिए जाते हैं 21 जेहरीले सांप, ऐसा ना करने पर शादी टूट भी सकती है

Poisonous Snake: तक़रीबन सभी शादियों में  तो आपने दहेज में रुपये-पैसे या गाड़ियां देने की बात बहुत सुनी और सायद देखी भी होगी, लेकिन क्या आपने कभी यह भी सुना है कि दहेज में जहरीले सांप (Poisonous snake) दिए जाते हैं। यह बात जानकर आपको काफी हैरानी तो होगी ही , तो चलिए जानते है विस्तार से क्या है ये मामला |

हमारा देश कई अद्भुत और अनोखी परम्पराओ से भरा पड़ा है और शादियों तक में कई अजीबों परम्पराए -प्रथायें देखने मिलती है , लेकिन दहेज़ के रूप में रुपये-पैसे या गाड़ियां देने की बात बहुत सुनी और सायद देखी भी होगी| आप लोगों ने शादी या विवाह में जरुर देखा होगा कि दुल्हन के पिता अपनी बेटी को दहेज में काफी महंगे तोहफे देते हैं, यंहा तक की लोग अपनी बेटियों की शादी में कर्ज लेकर कीमती सामान, सोने-चांदी के गहने और नकदी जैसे अन्य चीजे दहेज के तौर पर देते हैं|

लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि शादी में बेटी के पिता अपनी बेटी को महंगे गहने, गिफ्ट्स न देकर बल्कि जहरीले सांप देता है| यह जानकार आपको भी हैरानी जरुर हुई होगी परन्तु इन राज्यों में ऐसी प्रथा है की यंहा दहेज़ के रूप में अपने दामाद को 21 जहरीले सांप (Poisonous snake) दिए जाते हैं। अब सायद यह बात जानकार आपको अजीब लग रहा होगा , लेकिन यह बात सौ फीसदी सच है। 

मध्य प्रदेश के गौरिया समुदाय और छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में संवरा जनजाति समुदाय में यह प्रथा है, कि इस समुदाय के लोग अपने दामाद को दहेज के रूप में 21 जहरीले सांप (Poisonous snake) देते हैं। इन समुदाय में यह परंपरा कई सदियों से चली आ रही है।

यंहा के लोगों का मानना है कि अगर इस समुदाय से जुड़ा कोई भी शख्स अपनी बेटी को शादी में 21 जहरीले सांप नहीं देता तो उनकी बेटी की शादी जल्द ही टूट सकती है।  लोगों का ये भी मानना है कि बेटी की शादी तय होते ही बेटी का पिता अपने दामाद को तोहफा देने के लिए जहरीले सांप पकड़ना उसी दिन से शुरू कर देते हैं।

इस परंपरा में गेंहुअन जैसे जहरीले सांप भी शामिल हैं। और यहां के बच्चों को भी उन सभी जहरीले सांपों से बिलकुल डर नहीं लगता बल्कि वो उनके साथ बड़े मजे से खेलते और मस्ती करते नजर आते हैं। 

Poisonous snake पर क्या है लोगों की मान्यता 

Poisonous snake

हमारे भारत देश में शादियों में कई तरह की रस्मे और परम्पराएं की जाती है ,ठीक उसी तरह मध्य प्रदेश के गौरिया समुदाय और छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में संवरा जनजाति समुदाय में दहेज़ के रूप में दूल्हे को 21 जहरीले सांप दिए जाते है , यदि ऐसा नहीं किया गया तो शादी जल्द टूट जाती है |

इन विशेष समुदाय में एक ऐसी अनोखी परम्परा है जंहा पर दहेज़ के रूप में एक या दो नहीं बल्कि 21 जहरीले सांप दिए जाते है। कोरबा जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर मुकुंदपुर गांव में संवरा जनजाति समुदाय और मध्य प्रदेश के गौरिया समुदाय के लोग यह परंपरा निभाते है|

इन समुदाय के लोग अपनी बेटियों की शादी में दहेज के रूप में अगर 21 जहरीले सांप नहीं देते हैं, तो यह मान्यता है की शादी टूट जाती है| इस परम्परा के पीछे एक बड़ी वजह मानी जाती है।

किन सांपो को दिया जाता है दहेज़ के रूप में 

गौरिया समुदाय और संवरा जनजाति समुदाय के लोगों के अनुसार, बेटी की शादी तय होने के बाद ही पिता दहेज देने के लिए सांप पकड़ने का यह कार्य सुरु कर देते हैं| परंपरा के तौर पर इन सभी सांपो में जो सबसे जहरीले सांप होते है उन्हें पकड़ना जाता है, जिसमें नाग, करैत, विराज प्रजाति के सांप भी शामिल होते हैं|

यह भी कहा जाता है कि ये सांप इतने ज्यादा जहरीले होते हैं क‍ि एक बार अगर क‍िसी को काट लें तो इंसान की तुरंत तुरंत मृत्यु होना निश्चित है | और यह भी मान्यता है की अगर लड़की का पिता तय समय पर 21 सांपो को न पकड़ पाए तो रिश्ता भी टूट जाता है|

सांपो को देने का प्रमुख्य कारण देखे तो उन लोगों का मानना है कि इस परंपरा को निभाने से उनकी बेटी और दामाद का रिश्ता बेहद ही गहरा और मजबूत लम्बे समय तक बना रहेगा। अगर कोई भी इन समाज का लोग इस परंपरा के विपरित जाता है तो उनकी बेटी को शादी के बाद कई अरचन या मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही यह भी मान्यता है की उनका रिश्ता काफी लंबे समय तक न टिकने व जल्दी ही टूट जाता है।

सदियों पुरानी है यह परंपरा

इन समुदाय में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है| दरअसल गौरिया समाज और संवरा जनजाति के लोग जहरीले सांप पकड़ने का ही काम करते हैं और यह इनका पुश्तैनी पेशा है| इस समाज के लोग जहरीले सांपों को दिखाकर लोगों से पैसे मांगकर अपना जीवन यापन करते हैं|

असल में यही वजह है कि आज भी परंपरा के तौर पर बेटी का पिता दामाद को दहेज में सांप देने की प्रथा है| ताकि वो इन सांपों के जरिए अपना जीवन यापन कर सके और परिवार का पेट पाल कर घर गृहस्ती चला सके | उनकी बेटी को कभी भी खाने-पीने का संघर्ष न करना पड़े| समुदाय में यह परंपरा काफी पुरानी और सदियों से चली आ रही है| 

Leave a Comment