
क्या आपके भी मन में यही सवाल उठता है की यदि अंतरिक्ष में किसी भी वैज्ञानिक की मौत हो जाती है तो वैज्ञानिक उसके बॉडी के साथ क्या करते होंगे ? सावल तो बहुत ही निराशाजनक है, लेकिन आवश्यक यह प्रश्न उठता है,कि अगर किसी भी व्यक्ति की अंतरिक्ष में मृत्यु हो जाती है तो शरीर का क्या होगा? आइये जानते है इन सभी सावालों के बारे में
भारत सहित दुनिया भर के सभी देश अपने स्पेस प्रोग्राम को विस्तार करने में लगे हैं, लगभग छह दशक से अंतरिक्ष में छुपे राज का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है और यह निरंतर चल रहा है| अमेरिका एकमात्र ऐसा देश है जो की चांद में मानव को भेज पाया है|
लेकिन मन में यह सवाल उठना है कि तब क्या होगा ,अगर आप इन खतरनाक मिशन पर जाने वाले लोग अंतरिक्ष में ही किसी वजह से हादसे में अपनी जान गंवा दें| अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अभी तक लगभग 20 लोग मारे जा चुके हैं| 1986 और 2003 की नासा के स्पेस शटल हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई थी| ठीक इसी तरह साल 1971 के सोयुज 11 मिशन के दौरान भी तीन अंतरिक्ष यात्री, और 1967 में अपोलो 1 लॉन्च पैड के आग में तीन अंतरिक्ष यात्री मारे गए|
यह देखते हुए आप समझ सकते है कि मानव अंतरिक्ष उड़ान कितनी जटिल है, लेकिन अब तक इसमें बहुत कम लोगों ने अपनी जान गंवाई है| बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में कार्यरत इमैनुएल ने यह बताया कि, ट्रांसलेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस हेल्थ की टीम ने अंतरिक्ष में जाने वाले रिसर्चर और वैज्ञानिकों को स्वस्थ रखने का हर संभव प्रयास करती है.
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अंतरिक्ष में मृत्यु से कैसे निपटा जाता है? NASA PROTOCOL
अगर कोई भी निचले-पृथ्वी-कक्षा मिशन पर मर जाता है , जैसे कि अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर तो कुछ घंटों के भीतर ही एक कैप्सूल में शरीर को पृथ्वी पर वापस भेज सकता है| यदि अगर यह चंद्रमा पर हुआ, तो दल कुछ ही दिनों में शव के साथ पृथ्वी पर वापस लेकर लौट जाते है| नासा के पास ऐसे हालात से लड़ने के लिए पहले से ही विस्तृत प्रोटोकॉल मौजूद हैं|
मंगल ग्रह पर मौत होने पर क्या होगा?
“NASA Protocol” अगर मून मिशन के दौरान कोई हादसा हुआ, तो Astronaut की टीम कुछ ही दिनों में शव को लेकर धरती पर वापस लौट सकती है, नासा के पास ऐसे समस्याओ के लिए पहले से ही प्रोटोकॉल बने हुए हैं| डेड बॉडी का संरक्षण करने के लिए नासा के पास कोई सुविधाए नहीं है|
उसकी पहली यह प्राथमिकता है की दल के साथ सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लौटना है| यदि मंगल ग्रह की 300 मिलियन मील की यात्रा के दौरान किसी भी अंतरिक्ष यात्री की मृत्यु हो जाए, तो उसके लिए अलग नियम है | क्यूंकि ऐसी स्थिति में दल मुड़कर वापस प्रथ्वी पर नहीं जा पाएगा| और उन्हें मिशन के खत्म होने तक का इंतजार करना पड़ेगा, इसका मतलब यह है कि, चालक दल कुछ साल बाद ही शव के साथ पृथ्वी पर वापस लौट सकेंगे|
दल संभवतः शव को एक अलग कक्ष या विशेष बॉडी बैग में पर संरक्षित करके रखेंगे जब तक मिशन ख़त्म नहीं हो जाता है| अंतरिक्ष यान के अंदर स्थिर तापमान की वजह से शरीर को संरक्षित करने में मदद मिलती है , लेकिन ये सभी नियम केवल तभी लागू होंगे जब किसी की मृत्यु अंतरिक्ष स्टेशन या अंतरिक्ष यान जैसे दबाव और सुरक्षित वातावरण में हुई हो|
यदि कोई बिना स्पेससूट के अंतरिक्ष में जायेगा तो क्या होगा?
NASA के अनुसार, अगर कोई भी अंतरिक्ष यात्री स्पेस सूट के बिना जाता है तो कुछ समय में याकि लगभग तुरंत मर सकता है, दबाव कम होने के कारण और अंतरिक्ष के वातावरण के संपर्क में आने से सांस लेना मुस्किल हो जाएगा और रक्त समेत शरीर के सभी अंग उबलने लगेंगे|
चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है जिससे वंहा पर बहुत ही कम ऑक्सीजन है मंगल ग्रह में वातावरण बहुत कम है, और लगभग कोई भी ऑक्सीजन नहीं है | जिसके कारण यात्री की मौत तुरंत हो जाएगी और उसके शरीर के बहुत सारे हिस्से हो जायेंगे|
शारीर दफनाने के बारे में क्या है नासा का प्रोटोकॉल?
मान लीजिए कि अगर अंतरिक्ष यात्री की मंगल की सतह पर उतरने के बाद मृत्यु हो जाती है तो , इस पर प्रोफेसर इमैनुएल ने कहा कि, उसके शरीर का दाह संस्कार नहीं किया जा सकता है | ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर को बचाने के अलावा पूरी टीम के लिए बहुत ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है| *NASA Protocol
जीवित दल को अन्य जरूरतों के लिए ऊर्जा चाहिए होता है | डेड बॉडी को दफनाना भी अच्छा विचार नहीं है, क्योंकि मरे हुए शरीर से बैक्टीरिया और अन्य जीव निकलने पर मंगल ग्रह की सतह को दूषित कर सकते हैं| शव को एक विशेष बॉडी बैग पर तब तक सुरक्षित रखा जाता है, जब तक उसे पृथ्वी पर वापस नहीं लाया जा सके|
और जान ने के लिए नीचे दी गई वीडियो देखें NASA Protocol के बारे में:-
Conclusion
“NASA Protocol” : इस बारे में अभी तक कई बातें अज्ञात हैं कि खोजकर्ता किसी की मौत से कैसे निपटेंगे लेकिन सवाल सिर्फ यह नहीं है कि शरीर के साथ क्या किया जाए बल्कि इसके साथ-साथ दल को कैसे मदद करना और पृथ्वी पर मौजूद परिवारों की मदद के लिए क्या करना पड़ेगा| मरने वाले व्यक्ति के शव को संभालना जितना ही महत्वपूर्ण है|
उतना ही इस विषम परिस्थिति में दमदार योजना और प्रोटोकॉल की आवश्यकता होगी| लेकिन फिर भी अभी कुछ नियम है, जैसे की बॉडी को एक स्पेशल बैग में रखा जाता है और तब तक सुरक्षित किया जाता है जब तक की बॉडी को लेकर वापस प्रथ्वी तक न पहुच जाए |
लेकिन 300 मिलियन मील की दुरी तय कर ली जाती है तो उस केस में जब तक मिशन ख़त्म नहीं हो जाता है तब तक बॉडी को वही सुरक्षित रखा जाता है | दल संभवतः शव को एक अलग कक्ष या विशेष बॉडी बैग में पर संरक्षित करके रखेंगे जब तक मिशन ख़त्म नहीं हो जाता है| अंतरिक्ष यान के अंदर स्थिर तापमान की वजह से शरीर को संरक्षित करने में मदद मिलती है |
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